बेकारी(बेरोजगारी)की समस्या पर निबंध (Essay on the Problem of Unemployment)

बेकारी(बेरोजगारी)की समस्या पर निबंध




भूमिका :–
आज भारत के सामने अनेक समस्याएं चट्टान बनकर प्रगति का रास्ता रोके खड़ी है। उनमें से एक प्रमुख समस्या है बेरोजगारी! महात्मा गांधी ने इसे ‘समस्या की समस्या’ कहा था। 

अर्थ: –
बेरोजगारी का अर्थ है योग्यता के अनुसार काम का ना होना। भारत के प्रमुख तीन प्रकार के बेरोजगारी हैं। एक वे जिनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं है, वह पूरी तरह खाली है। 
दूसरे वह जिनके पास कुछ समय का काम होता है परंतु मौसम या काम का समय समाप्त होते ही वे बेकार हो जाते हैं। यह आंशिक बेरोजगार कहलाते हैं। 
तीसरे वह जिन्हें योग्यता के अनुसार काम नहीं मिलता।

कारण: –
बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है जनसंख्या विस्फोट! इस देश में रोजगार देने की जितनी योजनाएं बनती है वे सब अत्यधिक जनसंख्या बढ़ने के कारण बेकार हो जाती है। एक अनार सौ बीमार! वाली कहावत यह पूरी तरह चरितार्थ होती है।  
बेरोजगारी का दूसरा कारण:–है युवकों में बाबू गिरी कि होर नवयुवक हाथ का काम करने में अपना अपमान समझते हैं विशेषकर पढ़े-लिखे युवक दफ्तरी जिंदगी पसंद करते हैं। इस कारण वे बेरोजगार कार्यालय की धूल फांकते रहते हैं। 
बेकारी का तीसरा बड़ा कारण:– है दूषित शिक्षा प्रणाली हमारी शिक्षा प्रणाली नित नए रोजगार पैदा करती जा रही है। व्यवसायिक प्रशिक्षण का हमारी शिक्षा में अभाव है चौथा कारण है गलत योजनाएं सरकार को चाहिए कि वह लघु उद्योग को प्रोत्साहन दे। मशीनीकरण को उस सीमा तक बढ़ाया जाना चाहिए जिससे कि रोजगार के अवसर कम ना हो इसलिए गांधी जी ने मशीनों का विरोध किया था।  क्योंकि एक मशीन कई कारीगरों के हाथों को बेकार बना डालती है। 

दुष्परिणाम: – 

बेरोजगारी के दुष्परिणाम आतिव भयंकर है। खाली दिमाग शैतान का घर! बेरोजगार युवक कुछ भी गलत सलत करने पर उतारू हो जाते हैं वही शांति को भंग करने में सबसे आगे होते हैं शिक्षा का माहौल भी वही बिगड़ते हैं जिन्हें अपना भविष्य अंधकारमय लगता है। 

          


समाधान: – 
बेकारी का समाधान तभी हो सकता है जब जनसंख्या पर रोक लगाई जाए युवक हाथ का काम करें सरकार लघु उद्योग को प्रोत्साहित करें शिक्षा व्यवसाय से जुड़े तथा रोजगार के अधिकाधिक अवसर जुटाए जाएं इसी में सभी का समाधान है। 



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